सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र मे साल का सबसे खर्चीला व शाही कहलाने वाला 4 दिवसीय माघी त्यौहार शुरू हो चुका है और पहले दिन खुड़िआंटी पर गेहूं, चावल व सूखे मेवे से बनने वाले मूड़ा, तेलवा व शाकुली आदि पारम्परिक व्यंजन तैयार किए गए। इस दिन अस्कली व तेलपाकी
व्यंजन रात को परोसे जाते हैं और अगले दिन घेंटा बनाते हैं। सिरमौर जिला के करीब 3 लाख की आबादी वाले गिरिपार की 154 पंचायतों मे सदियों से यह त्यौहार इसी अंदाज मे मनाया जाता हैं। बर्फ अथवा कड़ाके की ठंड से प्रभावित रहने वाली गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर की विभिन्न पंचायतों
इस त्यौहार में शाकाहारी लोगों के लिए कईं पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं, जिनमें मूड़ा, तेलवा, शाकुली, तेलपकी, सीड़ो, पटांडे व अस्कली आदि शामिल हैं। माघी त्यौहार को खुड़ियांटी, डिमलांटी, उत्तरांटी व साजा अथवा संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। इस गिरिपार के अंतर्गत आने वाले सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह, शिलाई व क्षेत्र के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के सर्वेक्षण के क्षेत्र के बाजारों मे सामान्य से ज्यादा भीड़ है। माघी त्यौहार के शुरुआती 3 दिनों में जहां क्षेत्र में बकरे काटे जाते हैं, वहीं मकर संक्रांति पर सभी घरों मे पटांडे व अस्कली आदि घी, खीर व दाल के साथ खाए जाने वाले शाकाहारी व्यंजन पकते है और माघ मास के पहले दिन किसी भी घर मे मांसाहारी भोजन नही पकता। साजे के नाम से मनाई जाने वाली मकर संक्रांति पर लोग अपने कुल देवता को अनाज व घी की भेंट चढ़ाते हैं। बहरहाल इस त्योहार के लिए जहां स्थानीय बाजारों में जमकर खरीदारी होने से व्यापारी खुश हैं