विखरतेपरिवारों   के लिए आज भी प्रेरणास्त्रोत है गिरिपार का यह संयुक्त परिवार।

जिस प्रकार समय-समय पर समाज में अनेकों समस्याएं देखने एवं सुनने को मिलती हैं समाज में विखरते परिवार की समस्या भी मुख्यतः आंकी जाती है,अर्थार्त हिमाचल प्रदेश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में परिवार सिमित होते जा रहे हैं जबकि वर्षों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश परिवार संयुक्त रूप से  मिलकर हंसी खुशी आदर भाव और मान सम्मान के साथ जीवन ज्ञापन किया करते थे,परन्तु जो परिस्थितियां आधुनिकता के इस दौर में देखने एवं सुनने को मिलती वह बिल्कुल ही विपरीत है,जिस प्रकार वर्तमान में संयुक्त परिवार विखर रहें हैं और अपने आप तक सिमित होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर आधुनिकता के इस दौर में अपने  निजी स्वार्थ और सिमित परिवार तक मानो रह गए हैं,परन्तु वर्तमान में भी हिमाचल प्रदेश में कुछेक ऐसे परिवार देखने एवं सुनने को मिलते हैं जिन्होंने परिवार को संयुक्त रूप से एकता के सूत्र में बांधकर समाज के लिए सन्देश और प्रेरणा स्रोत मानें जाते है,जानकारी अनुसार ऐसा संयुक्त एवं खुशहाल परिवार माना जाता है जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र के पंडित का गांव (बिड़ला) मिल्ला जिनके घर का नाम (भडराईक) कहां जाता है जिस परिवार की संख्या लगभग 40 सदस्यों से अधिक मानी जाती है,साथ ही इस गांव में स्थित जहारवीर गोगा महाराज का सुंदर और क्षेत्र समाज के लिए प्रसिद्ध आस्था का मन्दिर माना जाता है जिस मन्दिर के भंडारी इसी परिवार के वरिष्ठ सदस्य दशकों से अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं,जिस परिवार में अधिकांश सदस्य शिक्षित,बुद्धिजीवी, मेहनतकश, और जागरूक मानें जाते हैं, और घर में  सभी सदस्य मिलकर किसी भी छोटे बड़े कार्य को करने में मिलकर प्रयास करते नज़र आते हैं,जिस प्रकार अनेकों परिवारों में छोटे छोटे मनमुटाव, अंतर्कलह और आत्मसंतुष्टि इत्यादि का अभाव देखने एवं सुनने को मिलता है, परन्तु अगर सामुहिक रूप से इस परिवार की कार्यप्रणाली, एकता, संस्कार ,आदर भाव, और सादगीपूर्ण जीवन को जानने का प्रयास किया जाएं तो निसंदेह ऐसे परिवार क्षेत्र समाज में विरले ही देखने एवं सुनने को मिलते हैं जिन परिवारो की संख्या इतनी अधिक होने पर भी एकता, विश्वास,मान सम्मान, इत्यादि देखने को मिलता हैं,जो परिवार के संस्कार,अहमियत और एकता को दर्शाता है,और समाज के लिए ऐसे परिवार निसंदेह अनुकरणीय मानें जाते है।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*

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