सिरमौर जिले के क्यारी गुडाहां गांव से गाय की रक्षा का हैरान करने वालामामला सामने आया है। यहां दो ग्रामीणों ने 2 क्विंटल से अधिक वजनी बीमार गाय को पीठ पर बांध कर टूटा रास्ता पार करवया और अस्पताल पहुंचाया। गौ सेवा का ऐसा उदाहरण पहले शायद ही कहीं देखा गया हो। दोनों ग्रामीणों ने बेहद खराब टूटे हुए पहाड़ी रास्ते पर गाय को पीठ पर बांधकर अस्पताल पहुंचाया और गाय की जान बचाई।
सनातन धर्म में गाय को माता सिर्फ कहा ही नहीं जाता बल्कि, निभाया भी जाता है। इसका ताजा उदाहरण यह तस्वीरें हैं। यहां दो बहादुर ग्रामीण अपनी जान की परवाह किए बगैर भारी भरकम गाय को पीठ पर लादकर बेहद खतरनाक पहाड़ी रास्ते पर ले जा रहे हैं। यह तस्वीर सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम क्यारी गुडाहां गांव की है। यहां कुराई गांव के दीपराम शर्मा की गाय कई दिनों से बीमार थी। वेटरनरी अस्पताल तीन किलोमीटर दूर गुडाहां गांव में है। बीमार गाय की जान बचाने के लिए गाय को अस्पताल पहुंचाना जरूरी था। दूसरी तरफ भरी बरसात के कारण पहाड़ी रास्ता पहले ही कई जगह से टूट चुका है। लिहाजा, गाय को उठाकर टूटा हिस्सा पार कराकर अस्पताल पहुंचाने के अलावा ग्रामीणों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। गौ माता की जान बचाने के लिए दो ग्रामीण दया राम और लाल सिंह आगे आए। 2 क्विंटल से अधिक वजनी गाय को रस्सियों से उनकी पीठ पर बांधा गया। दोनों ग्रामीणों ने बेहद खराब रास्ते पर गाय को पीठ पर बांध कर रास्ते का टूटा हिस्सा पार कराया और अस्पताल पहुंचाया। इस कार्य में गौ भक्ति के साथ साथ शारीरिक क्षमता और साहस सभी की भी जरूरत थी। बेहद खराब पहाड़ी रास्ते पर जरा सा पैर फिसलने या संतुलन बिगड़ने का परिणाम जानलेवा दुर्घटना हो सकती थी। मगर ग्रामीणों ने संतुलन और साहस का परिचय देते हुए सधे हुए कदमों से चलते हुए गाय को रास्ते का टूटा हुआ हिस्सा पार कराया और अस्पताल पहुंचाया। जहां उसे उचित इलाज मिल पाया। अब गए बिल्कुल स्वस्थ है। गाय की जान बचाने के लिए ग्रामीणों के इस अनूठे प्रयास की हर तरफ चर्चा हो रही है। हर कोई ग्रामीणों के गौ सेवा, साहस और क्षमता की प्रशंसा कर रहा है।