धरोहर शहर नाहन अपनी ऐतिहासिक परम्पराओं के लिए जाना जाता है। ऐसी ही एक परम्परा है जोकि रियासत काल से चली आ रही है और वो है रक्षा बंधन पर पतंगबाजी का मनाया जाना है। राखी बांधते ही छतों पर वो काटा की ध्वनियों से आकाश गुंजायमान होता था। सभी धर्मों ,जातियों के लोग मिलकर इसे मनाते आ रहे हैं ,आधुनिकता की दौड़ में पिछले कुछ समय से इसमें कमी दर्ज हुई है और नई पीढ़ी इसमें ज्यादा रूचि नहीं दिखा रही है। लेकिन फिर भी नाहन के बाशिंदे इस परम्परा को बचाये रखने के लिए आज भी पतंगबाजी से जुड़े हुए हैं। हालाँकि आज उतनी पतंगबाजी नहीं हुई है लेकिन शाम होते होते आकाश रंगबिरंगी पतंगों से भर गया। विषेशकर छोटे बच्चे इसमें रूचि लेते दिखे जोकि परम्परा सरंक्षण के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है।
नाहन शहर में रक्षा बंधन के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जो आज भी कायम है। यह आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। इस दिन पहले भाई अपनी बहनों से राखी बंधवाते हैं और फिर घरों की छतों पर जाकर पतंग उड़ाते हैं।इस दौरान बहनें भी अपने भाइयों का सहयोग करने के लिए छतों पर नजर आती हैं। बुजुर्गों का कहना है कि वे अपने बचपन से जवानी तक रक्षा बंधन पर पतंग उड़ाते रहे हैं और उनसे पहले उनके दादा-परदादा भी यही करते थे।