अगर चोर चोरी के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, तो क्या उन्हें पकड़ना नामुमकिन हो जाता है? सिरमौर पुलिस ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। हरियाणा के बराड़ा से लौट रही एक बारात से सोने के आभूषण चोरी करने वाले शातिर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने एक चौंकाने वाला विवरण साझा किया है।दरअसल, 10 नवम्बर को क्यार्दा से बराड़ा गई बारात धौलाकुआं में चाय के लिए रुकी थी। उसी दौरान बारात की गाड़ी से सोने के आभूषण चोरी होने की घटना सामने आई। माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज इस वारदात में गिरफ्तार मुख्य आरोपी नीतीश कुमार (उद्घोषित अपराधी) ने खुलासा किया कि वे चोरी के दौरान मोबाइल फोन का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते थे।
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि आरोपी चोरी करते समय मोबाइल का इस्तेमाल इसलिए नहीं करते थे, ताकि उनकी लोकेशन स्थानीय मोबाइल टॉवर में दर्ज न हो सके। वे जानते थे कि पुलिस सबसे पहले मोबाइल टॉवर डेटा (CDRs) का विश्लेषण करती है। इस ‘साइलेंट ऑपरेशन’ को अंजाम देने के लिए गिरोह केवल वॉकी-टॉकी सेट्स का ही इस्तेमाल करता था। उनका मकसद था—कोई डिजिटल फुटप्रिंट (Digital Footprint) न छोड़ना।
चोरी की शिकायत मिलने के तुरंत बाद, पुलिस अधीक्षक निश्चित सिंह नेगी, सिरमौर के दिशा-निर्देशों पर एक विशेष टीम (साइबर सेल के अमरेन्दर सिंह, संगीत कुमार और गुरदीप सिंह) ने जांच शुरू की।चूँकि मोबाइल डेटा नहीं मिल पाया, पुलिस ने अपनी रणनीति बदली और इलाके के सारे CCTV फुटेज और अन्य तकनीकी मापदण्डों (जैसे टोल प्लाजा रिकॉर्ड और वाहन ट्रैकिंग) का गहन विश्लेषण किया। फुटेज से पता चला कि संदिग्ध बराड़ा से ही बारात का पीछा कर रहे थे और शादी समारोह में भी शामिल थे।इस गहन विश्लेषण के कारण ही पुलिस मुख्य आरोपी नीतीश कुमार को वारदात में इस्तेमाल किए गए वाहन UP80FF-3852 सहित हरियाणा से गिरफ्तार करने में सफल रही। आरोपी के पास से वॉकी-टॉकी सेट्स भी बरामद हुए हैं।