भाजपा सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि युवा कांग्रेस ने आज शिमला में धरना प्रदर्शन किया है पर हमें समझ नहीं आ रहा है कि उन्होंने यह धरना प्रदर्शन क्यों किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को इसलिए सपामप्त किया गया है क्योंकि सूरत के एक कोर्ट ने मानहानि के मामले में उन को 2 साल की सजा सुनाई है और रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल्स एक्ट 1950 की धारा 8 (4) के तहत स्पष्ट रूप में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा समय के लिए सजा सुनाई जाती है तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाती है।
नंदा ने कहा की कहीं ना कहीं यह लगता है कि कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हो इसलिए अभी तक उन्होंने किसी भी कोर्ट में अपील या दलील नहीं की है।
सभी के ध्यान में है कि जब उनके नेता पवन खेड़ा को सजा हुई थी तो कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में 15 मिनट के भीतर पहुंच गई थी, पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। अगर 4 साल में एक बार राहुल गांधी अन्य पिछड़े वर्ग के ऊपर की टिपणी के लिए माफी मांग लेते तो ऐसी नौबत आती ही नहीं, इसमें कांग्रेस पार्टी के नेताओं का घमंड साफ रूप से दिखता है।
कांग्रेस नेताओं को हमेशा इस प्रकार के बयान बाजी देने की आदत है, 20 सितंबर 2018 को उन्होंने कहा था कि चौकीदार चोर है और इसको लेकर उन्होंने माफी भी मांगी थी, दिल्ली में 5 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से कर दी गई थी,15 अक्टूबर 2019 में राहुल गांधी ने अंबानी और अडानी के साथ मोदी जी को जोड़ा था, 6 अक्टूबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर एक बार फिर कांग्रेस ने विवादित बयान दिए थे, 2007 आम चुनावों में इलेक्शन कैंपेन के दौरान मोदी जी को मौत का सौदागर सोनिया गांधी द्वारा कहा गया था और प्रियंका गांधी ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना दुर्योधन से 7 मई 2019 को अंबाला में एक रैली में की थी, शायद यह कांग्रेस की पुरानी आदत है।