पंचायती राज विभाग द्वारा आज जिला परिषद हाॅल ऊना में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग में जमीनी स्तर पर किए जा रहे गुणात्मक सुधार के मकसद से आयोजित इस कार्यशाला में विभिन्न विकासखंडों के बीडीओ, पंचायत समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य, पंचायत निरीक्षकों व उप निरीक्षकों ने भाग लिया। इस दौरान जिला परिषद के अध्यक्ष नीलम कुमारी व उपाध्यक्ष कृष्णपाल शर्मा भी विशेष रूप से कार्यशाला में उपस्थित रहे।
जिला पंचायत अधिकारी श्रवण कुमार ने बताया कि पंचायतों द्वारा ज्यादातर भौतिक संसाधनों और ढांचागत विकास को ही विकास के रूप में समझा जाता है। ग्राम पंचायत विकास प्लान जीपीडीपी के अध्ययन एवं विवचना से स्पष्ट होता है। गांवों में सड़कें, नालिया, सामुदायिक भवन, सरकारी भवन, शौचालय, पानी की सुविधाओं के विकास यानी ढांचागत विकास पर ही पंचायतों के विकास प्लान का अधिकांश बजट खर्च होता है। इसके अतिरिक्त कार्यशाला में 73वां संविधान संशोधन तथा पंचायती राज व्यवस्था, जिला स्तर पर योजना के लिए संवैधानिक प्रावधान, 15वां वित्त आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायतों हेतु बजट का आवंटन, सत्त विकास के लक्ष्यों का स्थानीयकरण, पंचायत और विकास की सोच, आर्थिक विकास ओर सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी, जिला पंचायतों द्वारा योजना तैयारी, जिला विकास योजनाओं का महत्व, खंड विकास योजना, संसाधन संचय कोष प्रवाह, जिला विकास योजनाओं के लिए सयम सीमा, जिला विकास योजना के लिए अनुमानित समय सीमा, जिला पंचायत योजना समिति की सांकेतिक संरचना तथा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
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