जिला हमीरपुर जैसे कम ऊंचाई वाले और पानी की कमी वाले क्षेत्र में भी बागवानी की अच्छी संभावनाएं हैं। कभी बागवानी के लिए अनुपयुक्त माने जाने वाले इस क्षेत्र में अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने एचपी शिवा परियोजना के माध्यम से बागवानी को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पहल की है। जिला में इस परियोजना के तहत चिह्नित एवं विकसित किए गए क्षेत्रों में शुरुआती दौर में ही बहुत ही उत्साहजनक परिणाम सामने आने लगे हैं। इसकी एक शानदार झलक देखने को मिल रही है भोरंज उपमंडल के गांव परोल में।
ग्राम पंचायत कैहरवीं के गांव परोल के किसान जिला हमीरपुर के अन्य गांवों के किसानों की तरह ही गेहूं और मक्की जैसी परंपरागत फसलों की खेती कर रहे थे और सिंचाई के साधन उपलब्ध न होने के कारण वे पूरी तरह मौसम पर ही निर्भर थे। पारंपरिक फसलों से आमदनी भी नाममात्र ही हो रही थी। खेती को घाटे का व्यवसाय मानकर कई किसान इससे तौबा करने लगे थे और गांव की जमीन बंजर होने लगी थी।
ऐसी परिस्थितियों के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार की एचपी शिवा परियोजना गांव परोल के किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई। उद्यान विभाग के अधिकारियों ने गांववासियों को एचपी शिवा परियोजना के तहत मौसंबी के बागीचे लगाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया। परियोजना के तहत विभाग ने लगभग 60 किसानों की करीब 8 हैक्टेयर भूमि को पौधारोपण के लिए तैयार किया। पौधों के लिए गड्ढे बनाने, जाली एवं सोलर बाड़बंदी लगाने, सिंचाई के लिए पानी, बागीचे के लिए मल्चिंग शीट्स और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं भी विभाग ने ही निशुल्क उपलब्ध करवाई। इसके बाद विभाग ने ही मौसंबी के नौ हजार से अधिक पौधे रोपित करवाए।
देखते ही देखते गांव की इस सूखी जमीन पर मौसंबी के पौधे लहलहाने लगे। अपनी आंखों के सामने ही मौसंबी के पौधों को लगातार बड़ा होते हुए और हरे-भरे बागीचे को देखकर गांव परोल के किसान बहुत ही गदगद हैं।
गांव के प्रगतिशील किसान जीवन सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी लगभग 18 कनाल भूमि पर पौधारोपण करवाया है। पौधों के रोपण और इनकी देख-रेख के लिए उन्हें उद्यान विभाग की ओर से भरपूर सहयोग एवं मार्गदर्शन मिल रहा है।
इसी प्रकार निशा ठाकुर ने बताया कि उनकी भी करीब 18 कनाल भूमि पर मौसंबी के पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि उनका परिवार पीढिय़ों से गेहूं और मक्की की खेती कर रहा था और पिछले कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन एवं अन्य कारणों से उनके खेतों में अच्छी पैदावार नहीं हो रही थी। अब मौसंबी का बागीचा लगाने से उनके खेत पूरी तरह हरे-भरे नजर आने लगे हैं।
परोल के ही एक अन्य किसान शमशेर सिंह ठाकुर की भी लगभग 10 कनाल जमीन पर मौसंबी के पौधे लहलहा रहे हैं। एचपी शिवा परियोजना की सराहना करते हुए शमशेर सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के किसानों-बागवानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
उधर, उद्यान विकास अधिकारी डॉ. जीना बन्याल पाटिल ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना के तहत गांव परोल में मौसंबी का बागीचा विकसित किया गया है और इसमें नौ हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। बागीचे की बाड़बंदी, सिंचाई, मल्चिंग और अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी विभाग ने किसानों को सहायता उपलब्ध करवाई है। उन्होंने बताया कि इस बागीचे के लिए सिंचाई की स्थायी व्यवस्था के लिए एक लाख लीटर क्षमता के टैंक का निर्माण भी जल्द ही शुरू किया जा रहा है।
इस प्रकार एचपी शिवा परियोजना के माध्यम से गांव परोल की तस्वीर एवं तकदीर बदल रही है।