प्राकृतिक खेती को लेकर केंद्र सरकार भी आत्मा परियोजना के तहत किसानो को जोड़ने के कार्य में लगी हुई है और किसान इस खेती से जुड़कर अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ बना रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है सिरमौर जिला के परा डा ,parada ग्राम के उन्नतशील युवा किसान अर्जुन अत्री का। अर्जुन अत्री प्राकृतिक खेती से जुड़कर जहां अपने बागीचे में सेब ऊगा रहे हैं वहीं सेब के बगीचे में ही काला चना ,मटर ,दलहन ,मेथी,इत्यादि भी लगते हैं और समय अनुसार 5 से 6 फसलें भी ले रहे हैं। उनका मानना हैकि मोनो क्रॉपिंग बेशक आर्थिकी ले लिए ठीक मानी जाती है लेकिन मिश्रित खेती के लाभ अधिक हैं इससे जहां कई फसलें मिलती हैं वहीं मिटटी को समुचित पोषक तत्व भी मिल जाते हैं। उन्होंने अपने सेब के बाग में कई प्रकार की फसलें लगाई हैं।
अर्जुन अत्री ने बतायाकि जहरमुक्त खेती को लेकर वो पिछले 5 से 6 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जिसमे पशुधन के गोबर मूत्र से बने जीवामृत व् घनामृत का प्रयोग करते हैं। साथ ही उन्होंने मिश्रित खेती को अपनाकर कई प्रकार की फसलें भी ले रहे हैं। उन्होंने बतायाकि केंद्र सरकार भी आत्मा परियोजना के तहत किसानो को तकनीकी सहायता के साथ साथ गौशाला पर अनुदान ,फसल संग्रहण भवन निर्माण अदि बारे अनुदान भी दे रही है। सभी किसानो को प्राकृतिक खेती व् मिश्रित खेती को अपनाकर लाभ उठाना चाहिए।
उल्लेखनीय हैकि सिरमौर के इस युवा उन्नतशील किसान अर्जुन अत्री ने नेचुरल फार्मिंग को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया है जोकि अन्य किसानो ले लिए भी एक उदाहरण पेश करता है।