राजगढ़ के ठौड़ निवाड़ में शांत महायज्ञ यज्ञ आरंभ कुरूड स्थापना के साथ आरंभ हुआ शांत महायज्ञ

तीन विधानसभा क्षेत्रो पच्छाद,ठियोग ,व चौपाल के हजारों लोगों की आस्था के कैद्र आठ सौ साल पुराने ऐतिहासिक पारंपरिक एवं धार्मिक स्थल गुरू इतवार नाथ मठ ठौड़ निवाड़ में शांत महायज्ञ आरंभ हो गया । इसका शुभारंभ यह कल देर शाम चरू स्थापना के साथ हुआ । यह जानकारी देते हुए मठ के पुजारी भुपेंद्र गिरी ने बताया कि इस मठ के मुख्य संक्षरक बलसन (घोड़ना) के राणा त्रि विक्रम सिंह है । और यह मठ ठियोग व बलसन क्षेत्र के लोगों की आस्था का कैद्र है । और वे गुरु इतवार नाथ को अपना गुरू मानते हैं । और गुरू महाराज की पूजा करते हैं । और इस मठ का निर्माण भी बलसन क्षेत्र के लोगों द्वारा किया गया था । और आज से सैकड़ों वर्ष पहले इस मठ के निर्माण के लिए लकड़ी व पत्थर भी बलसन क्षेत्र  से ही लाया गया था यहां काबिले गौर ज्ञै कि ठौड़ निवाड़ से बलसन की दूरी  लगभग 120 कि मी है और उस जमाने में बलसन क्षेत्र के लोगों ने इस मठ के लिए पत्थर व लकड़ी पीठ पर लाद कर लाया था । और इस बार भी इस मठ के निर्माण के लिए लकड़ी व पत्थर बलसन क्षेत्र से ही लाया गया है और मंदिर के शिखर लगने वाला सबसे कुरूड़ भी बलसन से ही लाया गया । इसी कड़ी में कुरूड़ बलसन क्षेत्र से कल देर रात्रि को यहां पहुंचा और चरू स्थापना के साथ कुरूड़ का स्वागत हुआ । आज सुबह यहां सबसे पहले रेखा पूजन व ज्वाला माता रवाना की पालकी व क्षेत्र के प्रसिद्ध आराध्य देव शिरगुल महाराज शाया की छड़ी का आगमन हुआ और स्थानीय लोगों द्वारा छड़ी व पालकी का पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ स्वागत किया गया । उसके बाद कुरूड़ शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के निकाली गई । बलसन क्षेत्र से आये सैकेडो लोगों ने पूरी वैदिक एवं दैविक विधी के साथ कुरूड़ को कंधे पर उठा कर मंदिर की शिखा तक पहुंचाया और उसके बाद मंदिर निर्माण के कारीगरों ने मंदिर के शिखर पर कुरुड़ की स्थापना की उसके बाद शिखा पुजन ,शुद्धि हवन,गुरु गद्दी प्रतिष्ठा व विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा यहां काबिले जिक्र है कि शांत महायज्ञ यहां तभी आयोजित होता है जब कहीं नये मंदिर का निर्माण पूर्ण होता है या फिर किसी प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार होता है । यहां यह मठ आठ सौ साल पुराना है और इससे पहले इसका जीर्णोद्धार कब हुआ होगा इसके बारे में कोई भी प्रमाण आज के समय में उपलब्ध नहीं है । ऐसी मान्यता है कि इस मठ का जीर्णोद्धार आज से लगभग दौ तीन सौ साल पहले हुआ होगा । इस मौका पर हजारों भक्तों ने गुरू इतवार नाथ के दरबार में माथा टेका व गुरू महाराज का आर्शीवाद प्राप्त किया। इस मौका पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया था जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।।

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