उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सिरमौर, सुमित खिमटा ने आज यहा जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण पश्चिम-मानसून-2024 हिमाचल प्रदेश में पूर्ण रुप से सक्रिय है तथा सिरमौर जिला विभिन्न प्रकार की आपदाओं के लिए अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है।
उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम के दौरान जिला में विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन व बाढ़ जैसी घटनाएं घटित होती है व मानसून के दौरान जिला सिरमौर में गिरी, यमुना, मारकंडा, जलाल, बाता, टोन्स आदि नदियों में लोगों के डूबने की अप्रिय घटनाएं होती है। ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु सभी नागरिकों को चेतावनी दी जाती है कि नदियों एवं खड्डो, नालों और घाटों के समीप जाने से और इनमे तैरने, नहाने, धोने एवं अन्य किसी प्रकार की गतिविधियों से परहेज करें, ताकि बरसात के दौरान होने वाले किसी संभावित खतरे से बचा जा सके ।
उन्होंने बताया कि चेतावनी जारी होने के बावजूद भी कुछ लोग बेवजह नदी-नालों और खड्डों के समीप चले जाते है, जिससे वह स्वयं की जान जोखिम में डाल देते है।
उपायुक्त ने सिरमौर वासियों से आग्रह किया कि इस बरसात के मौसम के दौरान नदी- नालों एवं भूस्खलन वाले इलाकों में अनावश्यक यात्रा करने से बचें तथा अत्यधिक आवश्यकता व आपातकाल में मौसम विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा जारी परामर्श उपरांत ही यात्रा करें। इसके अतिरिक्त खराब मौसम की पूर्व जानकारी लेने हेतु राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्मित सचेत ऐप, तथा बिजली गिरने की जानकारी लेने हेतु दामिनी ऐप अपने एंड्राइड मोबाइल फोन में अवश्य डाउनलोड करें।
उन्होंने कहा कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उपायुक्त कार्यालय स्थित आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के निशुल्क दूरभाष नंबर 1077, 112 पर तुरंत सूचना दें। उन्होंने जिला की सभी ग्राम पंचायतों, स्कूलों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों से अनुरोध किया कि वह अपने -अपने कार्य क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोगो को इस संदर्भ में जागरूक करें और सतर्कता बनाये रखें । इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों के साथ सांझा करें, ताकि इस मानसून ऋतु में जिला में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके। उन्होंने सभी जिला वासियों से इस संदर्भ में सहयोग करने की अपील की है।