जिला सिरमौर की सैनधार के मन्दिरों में माता ठांडू देवी मंदिर अपना विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखता है।यह मन्दिर नाहन से लगभग पैंतालीस किलोमीटर दूर तथा बेचड का बाग से मात्र तीन किलोमीटर दूर नाडनोटी के गांव नाडनोटी में स्थित है।
माता ठांडू देवी का आशीर्वाद नेत्र रोगों के लिए अचूक उपाय माना जाता है। स्थानीय लोग अपने मवेशियों की सुरक्षा एवं निरोगता के लिए इस देवी की पूजा करते हैं वहीं अपनी सुख शांति के लिए भी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहां श्रद्धालु दूर दूर से आकर माता को नतमस्तक होते हैं।
इस क्षेत्र में माता ठांडू देवी मंदिर को सिद्धपीठ माना जाता है। यहां वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है परन्तु चैत्र तथा अश्विन नवरात्रों में यहां विशाल भण्डारों का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में माता ठांडू देवी स्वयंभू पिण्डी के रूप में विराजमान हैं।
किंवदंतियों के अनुसार गांव दाऊण क्यारगा से एक गाय नित्य इस स्थान पर आकर गोमूत्र एवं गोबर कर वापस अपने गांव वापस आ जाती थी। गांव वालों ने इस गाय को रोकने की काफी कोशिश की गई परन्तु इस गाय ने अपने नित्य कर्म को जारी रखा।जब गांव वालों ने इस तथ्य की गहनता से जांच की तो यहां पर यह स्वयंभू पिण्डी नजर आई। गौरतलब है कि गोमूत्र एवं गोबर का देव पूजा में विशेष महत्व होता है।
स्थानीय लोगों ने इस स्थान पर मन्दिर बनाने का निश्चय किया। शुभ मुहूर्त देखकर मन्दिर निर्माण कार्य शुरू किया गया। मन्दिर निर्माण में भी चमत्कार होने लगे। मन्दिर निर्माण में राजमिस्त्री द्वारा चारकोना मंदिर बनाया जा रहा था परन्तु एक दिवार रोज़ ध्वस्त हो जाती थी। अतः पंचकोणीय मंदिर बनाया गया। हल्के छेद युक्त पत्थर का प्रयोग किया गया जिसको भक्त जनों द्वारा कंधों पर पहुंचाया गया।
वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था संचालन के लिए यहां स्थानीय लोगों द्वारा समिति गठित की गई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से की गई मन्नत अवश्य पूर्ण होती हैं।
लेखक -सुभाष चन्द्र शर्मा , खदरी ,बिक्रम बाग़