गत वर्ष एवं इस वर्ष मानसून ऋतु के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग, 907-ए नाहन से कुमारहट्टी तक विभिन्न क्षेत्रों में भूस्खलन की गतिविधियां देखी गई है।बरसात के मौसम में पिछले वर्ष और इस वर्ष भी इस क्षेत्र में काफी भू स्खलन हुआ है जिसको देखते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, शिमला के निर्देशानुसारभारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, चंडीगढ़ की दो सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम ने उच्च मार्ग का निरीक्षण किया और साथ लगते पहाड़ों व् भूमि के सैंपल भी लिए ताकि भू स्खलन के कारणों का पता चल सके और साथ ही इसको रोकने के उपाय किये जा सकें। भूगर्भ- वैज्ञानिकों की टीमने फ़िलहाल उच्च मार्ग पर पांच स्थान चयनित किये हैं जोकि भू स्खलन के लिए अति संवेदनशील हैं। विस्तृत रिपोर्ट बाद में प्रशासन को दी जाएगी जिसमे भूस्खलन के कारणों ,रोकने के उपायों सहित सभी कर्क मौजूद रहेंगे।
जिला राजस्व अधिकारी सिरमौर चेतन चौहान ने बतायाकि भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने बरसातों में हो रहे भू स्खलन को लेकर नाहन कुम्हार हट्टी राजमार्ग का सर्वेक्षण किया है व् साथ लगते पहाड़ों ,भूमि ,पत्थर। मिटटी की जाँच करके नमूने लिए हैं जिसकी विस्तृत रिपोर्ट जल्द वो प्रशासन को देंगे। इसके इलावा उन्होंने नाहन से कुम्हारहट्टी राजमार्ग पर पांच स्थानों का चिन्हित किया है जोकि भू स्खलन हेतु अति संवेदनशील आंके गए हैं।
उल्लेखनीय हैकि सिरमौर जिला में गत वर्ष व् इस वर्ष भी कई स्थानों पर भू स्खलन की अनेक मामले सामने आये हैं और राजमार्ग नाहन कुम्हार हट्टी भी उनमे से एक है। अब भूगर्भ वैज्ञानिको की टीम की रिपोर्ट आने पर इस स्थान पर रोकथाम के उपाए किये जायेंगे जिससे भू स्खलन के मामलों में कमी आने की उम्मीद जगी है।