*हम सबकी आस जिला सिरमौर का भी हो पर्यटन के रूप में विकास।

हिमाचल में को देव भूमि के साथ-साथ पर्यटन का प्रदेश और क्षेत्र भी माना जाता है,जिस प्रदेश में लोगों की देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है, तथा हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों को पर्यटन के क्षेत्र में  विश्व स्तर तक पहचान मानी जाती है तो वहीं पहाड़ों में बसा  हिमाचल प्रदेश बहुत ही सुन्दर और प्रकृति की गोद में बसा है, तो वहीं हिमाचल प्रदेश का जिला सिरमौर जो वर्तमान में हर क्षेत्र में हिमाचल का सिरमौर बनने के लिए मानों दिन प्रतिदिन अपनी अलग पहचान स्थापित करता जा रहा है तो वहीं आज हम अपने लेख के माध्यम से जिला सिरमौर की अनमोल धरोहर और वातानुकूलित वातावरण ओर प्रकृति की वादियों से रूबरू करवाने का प्रयास करेंगे, जिला सिरमौर का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ों में बसा हुआ है,जिस जिला सिरमौर में अगर हम पर्यटन की द्रष्टि से देखने एवं समझने का प्रयास करें तो निसंदेह सिरमौर पर्यटन की द्रष्टि से भी हिमाचल प्रदेश का सिरमौर बन सकता है,अगर प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग इस और विशेष ध्यान आकर्षित करती है ओर अगर सिरमौर के पर्यटन क्षेत्र को चिंहित करके इन क्षेत्रों को विकसित करने का प्रयास करतीं हैं तो,अगर प्रदेश सरकार इस और विशेष ध्यान आकर्षित करती है तो निसंदेह स्थानीय जनता एवं युवाओं को रोजगार के अनेकों अवसर भी प्राप्त हो सकतें हैं तो वहीं दूसरी ओर गांव से हो रहें रोजगार को लेकर शहरों में पलायन को भी काफी हद तक रोका जा सकता है, तो वहीं सबसे अच्छी बात यह भी है कि जिला सिरमौर से उधोग एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री ठाकुर हर्षवर्धन चौहान और विधानसभा उपाध्यक्ष श्री विनय कुमार भी इसी ग्रह जिला से सम्बन्ध रखते हैं, तो इसी परिप्रेक्ष्य में उम्मीद बढ़ जाती है कि जिला सिरमौर को अगर ये दोनों राजनीति के कद्दावर राजनेता स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रदेश सरकार में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले राजनेता विशेष पहल और माननीय मुख्यमंत्री के सौजन्य से गंभीरता से प्रयास करते हैं तो सिरमौर को पर्यटन के क्षेत्र में काफी हद तक विकसित किया जा सकता है, जिला सिरमौर में विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने कि परम् आवश्यकता है, जिसमें अनेकों क्षेत्र मानें जाते हैं, जैसे माता रेणुका जी को भी अभी तक पर्यटन की द्रष्टि से उस स्तर पर विकसित नहीं किया गया जिस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर तक इस क्षेत्र की धार्मिक के साथ साथ पर्यटन महत्वत्ता मानीं जातीं हैं, तो वहीं हरिपुरधार क्षेत्र को भी पर्यटन के रूप में विकसित करने की परम् आवश्यकता है जो प्रकृति की गोंद में बसा है, तो वहीं राजगढ़ का हाबबन क्षेत्र पर्यटन के क्षेत्र में बहुत मशहूर माना जाता है जिस क्षेत्र में देवदार के घने जंगल और बर्फ का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है , तो वहीं रेणुका विधानसभा क्षेत्र का एक और सुन्दर और मनमोहक, प्रकृति की गोद में बसा (गत्ताधार) का क्षेत्र जिसको पर्यटन के रूप में अगर विकसित किया जाए तो यकिनन मानों इस क्षेत्र में चार चांद लग जाएं, तो वहीं जानकारी अनुसार इस क्षेत्र के जागरूक और सक्रिय युवाओं ने अपने क्षेत्र को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने का प्रयास भी करते आ रहे हैं जिसमें सिरमौर की 111 विशेष विभुतियों को सम्मानित करने का प्रयास किया है जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान स्थापित की है तो वहीं इसी उद्देश्य से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऐसा विशेष कार्यक्रम 23 नवम्बर को किया जा रहा है, जिसमें रेसलिंग कि दुनिया में खलबली मचाने वाले ग्रेट खली ऊर्फ दलील राणा जी मुख्य अतिथि के रूप में शिरक़त करेंगे जो सराहनीय पहल जिला सिरमौर ही नहीं वल्कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शाय़द इस प्रकार का पहला प्रयास माना जा रहा है, तो वहीं शिलाई विधानसभा क्षेत्र का चानपुरधार,जुईन धार, में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, तो वहीं शिलाई का गिरनौल,सुईनल,कफोटा,टिटियाना,जाखना इत्यादि का क्षेत्र भी पर्यटन के क्षेत्र अनूकूल माना जाता है, तो वहीं पांवटा साहिब का क्षेत्र  गुरूद्वारा के लिए प्रसिद्ध है तो वहीं पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं देखने को मिलती हैं,जिस क्षेत्र में पतीत पावनी मां यमुना का बास है,जहा पर सैकड़ों श्रद्धालु और पर्यटक दूर दराज से आस्था और पर्यटन के रूप में आते रहते हैं,परन्तु अभी तक इस क्षेत्र में कोई खास सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो वहीं पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के निगाली क्षेत्र में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं देखने को मिलती हैं, तो वहीं जिला मुख्यालय नाहन का बहुत ही सुंदर और मनमोहक प्रकृति का दृश्य देखने को मिलता है,इस प्रकार जिला सिरमौर में दर्जनों ऐसे रमणीय स्थल पाएं जाते हैं जिन क्षेत्रों में अगर सड़क सुविधा, ठहरने,भोजन की सुविधा और कुछ और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो यकिनन सिरमौर को पर्यटन के क्षेत्र में एक अलग पहचान मिल सकती है, जिससे कि प्रदेश सरकार को भी आर्थिक रूप से सहयोग मिलता रहेगा,ऐसी उम्मीद और अपेक्षा जरूर करते हैं, तो वहीं हम सभी युवाओं और समाज का भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम अपने ज़िले को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर सरकार से निवेदन और आग्रह करते हैं, ताकि भविष्य में कुछ ना कुछ बेहतर परीणाम सिरमौर में पर्यटन के क्षेत्र में देखने मिलें, तो वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग और मार्गदर्शन में आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएं। तो वहीं जिस प्रकार वर्तमान सरकार हिमाचल प्रदेश के ऐसे ख़ास क्षेत्रों में पेरागलाईडिग ओर इक्कों  टूरिज्म के क्षेत्र में कार्य करने का प्रयास कर रही है, जिसमें जैसे जिला कांगड़ा, बिलासपुर, शिमला इत्यादि जिलों के अनेकों क्षेत्रों में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने शुभारंभ और शुरू करने का प्रयास किया और पर्यटन के क्षेत्र में भविष्य में कार्य करने की भी हामी भरी,इस प्रकार की पेरागलाईडिग और इक्कों टूरिज्म से जिला सिरमौर के हरिपुरधार, रेणुका जी, शिलाई, इत्यादि के क्षेत्रों में अगर सरकार पहल करती है तो निसंदेह भविष्य में युवाओं और जनता को स्थानीय तौर पर रोजगार के अवसर और सिरमौर की पहचान देश विदेश तक स्थापित हो सकती है, तो वहीं सरकार से भी निवेदन और सुझाव रहेगा कि अगर वह आर्थिक रूप से पर्यटन को विकसित करने में सक्षम नहीं मानीं जातीं हैं तो प्रदेश सरकार किसी उधोग घराने से ताल्लुक रखने वाले उधोगपतियो के द्वारा आवेदन करवाने का भी प्रयास किया जाएं ताकि वह हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में इन्वेस्ट करवाने का प्रयास करें जिससे हिमाचल प्रदेश को आर्थिक रूप से भी भार नहीं पड़ेगा तो वहीं दूसरी ओर पर्यटन के रूप में भी हिमाचल प्रदेश को विकसित किया जा सके।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*

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